उर्दू भाषा के मशहूर रचनाकार फिराक गोरखपुरी का असली नाम रघुपति सहाय था । इनका जन्म सन 28 अगस्त 1896 को उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में हुआ। इन्हें अरबी, फारसी, अंग्रेजी और संस्कृत की शुरुआती तालीम अपने पिता से हासिल हुई ।
रघुपति सहाय को शायरी की दुनिया में “फिराक गोरखपुरी” के नाम से जाना जाता है । फिराक गोरखपुरी उर्दू के प्रसिद्ध रचनाकार थे वे इलाहाबाद विश्वविद्यालय में अंग्रेजी के अध्यापक रहे और उर्दू भाषा में रचनाएं लिखीं । आज हम आपके लिए के लिए फिराक गोरखपुरी शायरी लेकर आए हैं जो आपको बहुत पसंद आएंगी।
Firaq Gorakhpuri ki Shayari
मुस्कुराहट पर तो हजारों फिदा होते हैं,
बात तो तब बने जब आँसुओ का भी,
कोई हिस्सेदार हो !
कोई नयी ज़मीं हो, नया आसमाँ भी हो,
ए दिल अब उसके पास चले, वो जहाँ भी हो !
इक उम्र कट गई है तिरे इंतिजार में,
ऐसे भी हैं कि कट न सकी जिन से एक रात !
मैं मुद्दतों जिया हूँ किसी दोस्त के बगैर,
अब तुम भी साथ छोड़ने को कह रहे हो खैर !
शाम भी थी धुआँ-धुआँ हुस्न भी था उदास-उदास,
दिल को कई कहानियाँ याद सी आ के रह गईं !
ये कैसी ख्वाहिश है के मिटती ही नहीं,
जी भर के तुझे देख लिया फिर भी,
नजर हटती नहीं !
जिस में हो याद भी तिरी शामिल,
हाए उस बे-ख़ुदी को क्या कहिए !
मौत का भी इलाज हो शायद,
जिंदगी का कोई इलाज नहीं !
Firaq Gorakhpuri Shayari in Hindi
आए थे हँसते खेलते मय-खाने में फिराक,
जब पी चुके शराब तो संजीदा हो गए !
ये माना जिंदगी है चार दिन की,
बहुत होते हैं। यारो चार दिन भी !
जो उलझी थी कभी आदम के हाथों,
वो गुत्थी आज तक सुलझा रहा हूँ !
एक मुद्दत से तिरी याद भी आई न हमें,
और हम भूल गए हों तुझे ऐसा भी नहीं !
मैं हूँ दिल है तन्हाई है,
तुम भी होते अच्छा होता !
असर भी ले रहा हूँ तेरी चुप का,
तुझे काइल भी करता जा रहा हूँ !
जो उन मासूम आँखों ने दिए थे,
वो धोके आज तक मैं खा रहा हूँ !
सोचूँ तो सारी उम्र मोहब्बत में कट गई,
देखूँ तो एक शख्स भी मेरा नहीं हुआ !
रात भी नींद भी कहानी भी,
हाय क्या चीज है जवानी भी !
न कोई वादा न कोई यकीं न कोई उमीद,
मगर हमें तो तिरा इंतिजार करना था !
जब्त कीजे तो दिल है अँगारा,
और अगर रोइए तो पानी है !
यूँ तो हंगामे उठाते नहीं दीवाना-ए-इश्क,
मगर ऐ दोस्त कुछ ऐसों का ठिकाना भी नहीं !
फिराक गोरखपुरी शायरी
लिखना तो था कि हम खुश हैं उसके बिना,
मगर आंसू निकल पड़े कलम उठाने से पहले !
कोई आया न आएगा लेकिन,
क्या करें गर न इंतिजार करें !
तुझ को पा कर भी न कम हो सकी बे-ताबी-ए-दिल,
इतना आसान तिरे इश्क का गम था ही नहीं !
कुछ न पूछो फिराक अहद-ए-शबाब,
रात है नींद है कहानी है !
खो दिया तुम को तो हम पूछते फिरते हैं यही,
जिस की तकदीर बिगड़ जाए वो करता क्या है !
कुछ इशारे थे जिन्हें दुनिया समझ बैठे थे हम,
उस निगाह-ए-आश्ना को क्या समझ बैठे थे हम !
दर्द को हंसकर जीना क्या,
सीख लिया सबको लगा,
मुझे तकलीफ नही होती !
तेरे आने की क्या उम्मीद
मगर कैसे कह दूं कि इंतजार नहीं !
तुम मुखातिब भी हो करीब भी हो,
तुम को देखें कि तुमसे बात करें !
एक मुद्दत से तिरी याद भी आई न हमें,
और हम भूल गए हों तुझे ऐसा भी नहीं !
बहुत दिनों में मोहब्बत को ये हुआ मालूम,
जो तेरे हिज्र में गुजरी वो रात रात हुई !
जैसे की आपने देखा ऊपर हमने आपके लिए उर्दू और हिंदी के मशहूर शायर फिराक गोरखपुरी जी की कुछ चुनिंदा शायरी डाली हैं जो आपको बहुत पसंद आई होंगी यदि आपको यह शायरी पसंद आई हो तो अपने सोशल मिडिया और दोस्तों को शेयर जरुर करें । (धन्यवाद)